Anju Dixit

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विरह की बेला कैसे लिखूँ

कोई स्याही विरह को लिख न सकी,
बड़ा मुश्किल है शब्दों में इसे बोलना।

कोई माप ऐसा मिल न सका ,
विरह का आकलन जो कर सका,
बड़ा मुश्किल है जज्बों में तोलना।

एक पल को विछोह न हुआ,
साथ चलता  विरह मेरा साथी बना,
बड़ा मुश्किल जीते जी इसे छोड़ना।

कभी नयनों में बस बरसता है यह,
मन के उसासों में तड़पता है यह,
बड़ा मुश्किल  है इसे छोड़ना।

इसके  जैसा मिलन भी साथी नही,
यह वो दूल्हा जिसके बाराती नही,
नयी दुल्हन की सूनी माँग सी इसकी वेदना।

प्रीत से ज्यादा विरह मीत है,
हर पल मन मे बसा यह वो गीत है,
सारे मिलन और सुखों से सानिध्य इसकी उत्तेजना।

बड़े दिल बाले हैं विरह जो दिल मे पाले हैं,
यह कोई रस की धार नही ,
बड़ा  कठिन श्वासों में इसे घोलना।


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3 Comments

Aliya khan

03-Feb-2022 12:31 AM

बहुत खूब

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Sudhanshu pabdey

02-Feb-2022 09:16 PM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

02-Feb-2022 09:11 PM

बहुत खूबसूरत

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